अङ्क 32 | वर्ष 6 | अगस्त 2013 |
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- देवान किराती
जिंदगी बेच दूंगा मैं ।
हकर चाहिए मुझे
चिल्ला चिल्लाकर जो
मेंरी जिंदगी बेच सके।
जेनिफर लोपेज की नग्न तसवीरें
बलात्कार और हत्याओं की
त्राशदीपूर्ण कच्चे अक्षर भरे
दैनिक अखबारों की भांति जिंदगी बेच दूँगा मैं।
टुकड़े टुकड़े होने पर भी जिंदगी बेच देना है मुझे।
सड़क, चौक, बस, बाजार, जंगल
जहीं भी तो बिखर जाती है जिंदगी आखिर
बेमतलब, अकारण बिखरने से पहले
क्यों न जिंदगी के टुकड़े किए जाएँ
रूपए - रूपए में
कौर - कौर में
हे...! दुनिया के खरिदारों
तुम मेरी जिंदगी के टुकड़े-टुकड़े खरीद सकते हो
कैस में
लेकिन....... नहीं
मैं मेरा दिल नहीं बेच सकता
तुम दुनियाँ की जो कोई भी किमत लगा लो
किसी किमत पर मैं दिल नहीं बेच सकता।
मेरे दिल में
मेरी प्रियतम का प्यारा देश जो है।
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काश मैं पत्थर बन पाता.....
यदि इस वक़्त मैं
पत्थर बन पाता...।
चलते-चलते ठिठककर
बोलते-बोलते रूककर
मैं पत्थर हो जाता तो
लोग कितना पूजते मुझे
ढोंगी कितना प्रणाम करते।
मेरे मुँह से निकली कविताएँ
देववाणी बन जाती
मेरे गाए हुए रंगीते गीत
आदिवाणी बन जाते
और मैं बन जाता
एक सुंदर देवता - अद्भूत।
जहाँकहीँ पैर पड़ते मेरे
वहाँ मूर्खों कि कतारें लग जातीं
जहाँकहीं पहुँचता मैं
वहाँ पापियों के धाम बन जाते
घंटों लगाकर
ढोगी/भोगी
रोगी/जोगी
सनकी/मूर्ख
मेरी स्तुति-मेरे भजन गाते
मेरी माँ के आशीर्वचनों को
मेरा ही मूलमंत्र बनाते
और कहते इस युग का देवता -महान्।
जहाँकहीँ बैठा था मैं,
वहीं-वहीं होते
किसी के मंदिर
किसी के मस्जिद
किसी के चर्च
किसी के बौद्ध-बिहार
अपने-अपने अहम् के अखाड़े मे
अपने-अपने बेकार के नाम
उसी नाम की आराधना होती
........ मुझे कहा जाता
परमात्मा नायक, तुम अपरम्पार।
चलते-चलते ठिठककर
बोलते-बोलते रूककर
यदि इस वक़्त मैं
पत्थर बन पाता...।
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नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी
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