अंक 36 | वर्ष 10 | अप्रैल 2017 |
नौकरी
- विजय सागर
तारा प्रसाद भंडारी अपने साथी कृष्णबहादुर के.सी. के साथ पवन की दूकान पर चाय पी रहे थे।
एक जोडा काउंटर पर दिखा। उन्होंने कुछ ऑर्डर किया। बाद में ७/८ मिठाई के डब्बे लेकर लौट पड़े।
तारा प्रसाद को उनकी तरफ टकटकी लगाए देख कृष्ण बहादुर ने पूछा – “आप जानते हैं उन्हें ?”
तारा प्रसाद बोले – “हाँ पहले मेरे ही घर में किराए पर रहते थे।“
कृष्ण प्रसाद ने पूछा – “फिर ?”
तारा प्रसाद का जवाब था – “अभी उनका अपना ती-मंजिला मकान है।“
कृष्ण प्रसाद की जिज्ञासा और बड़ गई – “सोने के व्यापारी हैं ?”
तारा प्रसाद बोले – “नहीं यार नौकरी करते हैं।“
कृष्ण प्रसाद ने फिर चौँक कर पूछा – “कहाँ ? कैसी नौकरी ?”
तारा प्रसाद सपाट जवाब दिया – “नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन में ।“
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मूल नेपाली से अनुवाद : कुमुद अधिकारी।
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