अँक 38वर्ष 14जुन 2021

कोई नहीं आया

- सुवास बजगाईं

एक राजा हुआ करते थे। ऐश्वर्यवान् थे। उनका ऐश्वर्य देखने लायक था। घर बाहर ही नहीं घर के भीतर भी ऐश्वर्य छलक पड़ता था। धन और ध्यान से धनधान्य थे राजा।

अपने राज्य में सभी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राजा दरबारका दरवाजा खुला रखते थे। फिर राज्य के सभी प्रजाओं के साथ अपनी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए दिल भी खुला रखते थे।

दरबार में जो आता वह प्रशन्न मन लिए लौटता था; लेकिन राजाको अफसोस होता। वे सोचते – अपनी सन्तान जैसी प्रजा के पात्र कितने छोटे, कितनी क्षुद्र चाहतें। राजा जो देना चाह रहे थे, वह मागने वाला तो कोई नहीं था। राजा इंतजार करते रहे, काल के किनारों पर बैठकर इंतजार करते रहे, लेकिन अफसोस कोई नहीं आया।

राजा अभी भी इंतजार कर रहे हैं। वे चाहते हैं, कोई आए, राज्य ही मागे। कोई तो बने उनका उत्तराधिकारी, सम्हाले राज्य। लेकिन अफसोस कोई नहीं आया।

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नेपाली से रूपान्तर: कुमुद अधिकारी

 

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